रक्तकम्बला यक्षिणी : मृत में प्राण डालने वाली और मूर्तियों को चालयमान करने वाली. उच्च कोटि के साधक यक्षिणी में स्वरूप या तो माँ स्वरूप लेते है या पुत्री स्वरूप. इसकी वजह है सही ज्ञान और मार्गदर्शन का अभाव. लेकिन अगर आप वेब या किताब से ज्ञान हासिल कर के https://waltr752jno3.vidublog.com/31508348/the-2-minute-rule-for-how-to-do-vashikaran-kaise-hota-hai